नई दिल्ली. बुधवार को अरुण जेटली ने मोदी सरकार का
तीसरा बजट, बजट 2017 पेश किया। बजट से टैक्सपेयर यानी हम तो
छोटी-छोटी बचत चाहते थे। उम्मीद थी कि टैक्स में छूट मिलेगी। छूट दी भी, लेकिन इतनी छोटी कि बचत होती हुई दिखेगी नहीं। बिलकुल सरकार के झूलों की तरह।
बजट में हमें कैसे झुलाया गया...
बजट में हमें कैसे झुलाया गया...
1. हम जटिल इकोनॉमी नहीं समझते। हमने
छोटी-छोटी राहतों का झूला मांगा। सरकार ने कहा-फिर तो झूला ऐसा होगा!
2. फिर वित्त मंत्रालय ने काम शुरू किया। इकोनॉमी के हिसाब से। ऐसा कि राहत भी दे दें, और उसका इस्तेमाल भी न हो सके।
3. इस पर विपक्ष नाराज हुआ। उसने कहा कि कोई बाधा है तो जनता के लिए उसे इस तरह दूर किया जा सकता है।
4. हमें तो सरकार से वैसे ही ज्यादा उम्मीदें नहीं रहतीं। वो तो चुनाव में पार्टी ने ऐसे झूलों के सपने दिखाए थे।
5. इस बीच नोटबंदी हो गई।
6. हमने कहा-3 साल में आपने कई टैक्स लगाकर, इतना वसूला जैसे आप झूला नहीं, रॉलरकॉस्टर दे रहे हों।
7. वित्त मंत्री ने डराया- हम तो राहत देने को तैयार हैं। पर आपको खुश करते हैं तो देश की इकोनॉमी ऐसी हो जाएगी।
8. अंतत: सरकार ने कहा-आपने कष्ट झेले हैं। हमारा भी फर्ज बनता है। ये लीजिए...आप भी क्या याद करेंगे!
2. फिर वित्त मंत्रालय ने काम शुरू किया। इकोनॉमी के हिसाब से। ऐसा कि राहत भी दे दें, और उसका इस्तेमाल भी न हो सके।
3. इस पर विपक्ष नाराज हुआ। उसने कहा कि कोई बाधा है तो जनता के लिए उसे इस तरह दूर किया जा सकता है।
4. हमें तो सरकार से वैसे ही ज्यादा उम्मीदें नहीं रहतीं। वो तो चुनाव में पार्टी ने ऐसे झूलों के सपने दिखाए थे।
5. इस बीच नोटबंदी हो गई।
इकोनॉमी नीचे आने लगी। कमेटियों ने कहा-फिलहाल आप ऐसे ही झूल लीजिए।
6. हमने कहा-3 साल में आपने कई टैक्स लगाकर, इतना वसूला जैसे आप झूला नहीं, रॉलरकॉस्टर दे रहे हों।
7. वित्त मंत्री ने डराया- हम तो राहत देने को तैयार हैं। पर आपको खुश करते हैं तो देश की इकोनॉमी ऐसी हो जाएगी।
8. अंतत: सरकार ने कहा-आपने कष्ट झेले हैं। हमारा भी फर्ज बनता है। ये लीजिए...आप भी क्या याद करेंगे!
पैनकार्ड होल्डर
को 12,875 रु. सालाना की मिलेगी छूट
- नोटबंदी के बाद के बजट में राहत के नाम पर अरुण जेटली ने 3 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया।
- 5% का नया स्लैब लाकर 10% का स्लैब खत्म कर दिया। यानी अब 5% के बाद सीधे 20% का स्लैब।
- हालांकि बजट 2017 में न महंगाई से निपटने के उपाय हैं और न नौकरी बढ़ाने के तरीके।
- नोटबंदी में निजी बचत गंवाने वाली महिलाओं को भी नजरअंदाज किया गया। देश को डिजिटल करने के तरीकों को भी वे बस छूकर निकल गए।
- पहली बार किसी बजट में किसी फाइनेंस मिनिस्टर ने कर दायरे से बाहर रहने वालों से राष्ट्र निर्माण के लिए स्वेच्छा से 5% टैक्स देने की अपील की है।
- नोटबंदी के बाद के बजट में राहत के नाम पर अरुण जेटली ने 3 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया।
- 5% का नया स्लैब लाकर 10% का स्लैब खत्म कर दिया। यानी अब 5% के बाद सीधे 20% का स्लैब।
- हालांकि बजट 2017 में न महंगाई से निपटने के उपाय हैं और न नौकरी बढ़ाने के तरीके।
- नोटबंदी में निजी बचत गंवाने वाली महिलाओं को भी नजरअंदाज किया गया। देश को डिजिटल करने के तरीकों को भी वे बस छूकर निकल गए।
- पहली बार किसी बजट में किसी फाइनेंस मिनिस्टर ने कर दायरे से बाहर रहने वालों से राष्ट्र निर्माण के लिए स्वेच्छा से 5% टैक्स देने की अपील की है।
किसको क्या मिला बजट 2017 में
मेरा परिवार:
थोड़ा खुश
- सरकार 3.5 करोड़ यूथ्स को ट्रेनिंग देगी।
- 5 लाख तक की इनकम वाले नौकरीपेशा लोगों को अब सिंगल पेज का रिटर्न फॉर्म भरना होगा।
- पासपोर्ट दफ्तरों का फ्रंट ऑफिस बनेगा।
- परीक्षाओं के लिए नेशनल टेस्टिंग सिस्टम बनेगा। मेडिकल में पीजी की 5 हजार सीटें बढ़ाईं। 'स्वयं' प्लेटफॉर्म के तहत 350 ऑनलाइन कोर्स शुरू होंगे।
- 100 इंटरनेशनल स्किल सेंटर्स खोले जाएंगे। संकल्प के जरिए 3.5 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी।
- एसएमएस बेस्ड 'क्लीन माई कोच' सर्विस शुरू की जाएगी। शिकायतों के लिए 'कोच मित्र' बनेंगे।
- 5 लाख तक की इनकम वाले नौकरीपेशा लोगों को अब सिंगल पेज का रिटर्न फॉर्म भरना होगा।
- पासपोर्ट दफ्तरों का फ्रंट ऑफिस बनेगा।
- परीक्षाओं के लिए नेशनल टेस्टिंग सिस्टम बनेगा। मेडिकल में पीजी की 5 हजार सीटें बढ़ाईं। 'स्वयं' प्लेटफॉर्म के तहत 350 ऑनलाइन कोर्स शुरू होंगे।
- 100 इंटरनेशनल स्किल सेंटर्स खोले जाएंगे। संकल्प के जरिए 3.5 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी।
- एसएमएस बेस्ड 'क्लीन माई कोच' सर्विस शुरू की जाएगी। शिकायतों के लिए 'कोच मित्र' बनेंगे।
थोड़ा नाराज
- ये लगातार चौथा बजट है, जब चौथे बजट में महिलाओं को कुछ नहीं दिया।
- महिलाओं को विशेष कुछ नहीं दिया। आवंटन के नाम पर महिला और बाल विकास मंत्रालय को 1.84 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं, पर सीधी राहत नहीं है।
- जीवन स्तर ऊंचा उठाने वाली किसी भी चीज़ के दाम नहीं घटाए।
- टीवी-कार सभी के दाम वैसे ही बने रहेंगे।
- सरकार ने 2500 करोड़ डिजिटल पेमेंट की तो बात की, लेकिन डिजिटल पेमेंट पर लगने वाले ट्रांजेक्शन चार्ज को हटाने की बात नहीं की।
- ये लगातार चौथा बजट है, जब चौथे बजट में महिलाओं को कुछ नहीं दिया।
- महिलाओं को विशेष कुछ नहीं दिया। आवंटन के नाम पर महिला और बाल विकास मंत्रालय को 1.84 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं, पर सीधी राहत नहीं है।
- जीवन स्तर ऊंचा उठाने वाली किसी भी चीज़ के दाम नहीं घटाए।
- टीवी-कार सभी के दाम वैसे ही बने रहेंगे।
- सरकार ने 2500 करोड़ डिजिटल पेमेंट की तो बात की, लेकिन डिजिटल पेमेंट पर लगने वाले ट्रांजेक्शन चार्ज को हटाने की बात नहीं की।
मेरा कारोबार:
थोड़ा सुकून
- छोटे मकानों पर बिल्डर्स को छूट बरकरार
रखी है। अब 30 व 60 स्क्वेयर मीटर के बिल्टअप एरिया की बजाय कारपेट एरिया गिना जाएगा। 30 वर्गमीटर की सीमा मेट्रो शहरों के लिए ही रहेगी।
- अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रा का दर्जा दिया। डेवलपर्स अब बिना बिके मकान पर निर्माण के एक साल बाद टैक्स दे सकेंगे।
- नेशनल हाउसिंग बैंक को 20 हजार करोड़ रु दिए। 2019 तक गांवों में 1 करोड़ घर बनेंगे।
- 50 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों का कॉर्पोरेट टैक्स 30 से घटाकर 25% कर दिया गया है।
- अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रा का दर्जा दिया। डेवलपर्स अब बिना बिके मकान पर निर्माण के एक साल बाद टैक्स दे सकेंगे।
- नेशनल हाउसिंग बैंक को 20 हजार करोड़ रु दिए। 2019 तक गांवों में 1 करोड़ घर बनेंगे।
- 50 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों का कॉर्पोरेट टैक्स 30 से घटाकर 25% कर दिया गया है।
थोड़ा कन्फ्यूजन
- 3 लाख रु. से ज्यादा नकद लेन-देन पर रोक
लगाई। वजह एसआईटी की सिफारिश को बताया गया है। हालांकि, अघोषित रोक तो पहले ही थी। पचास हजार
रुपए से ज्यादा नकद ट्रांजैक्शन पर पैन देना ही
होता था।
- चूंकि जीएसटी इसी साल लागू होना है, इसलिए बजट में इनडायरेक्ट टैक्सों को छुआ भी नहीं गया। कारोबारी अब तक उम्मीद लगाए बैठे थे कि एक्साइज और कस्टम ड्यूटी में बदलाव होगा।
- रियल एस्टेट को छोड़ किसी भी सेक्टर के लिए बड़े उपाय नहीं किए। जबकि नोटबंदी के बाद गिरती इकोनॉमी को उठाने की उम्मीद की गई थी।
साभार- देनिक भास्कर
- चूंकि जीएसटी इसी साल लागू होना है, इसलिए बजट में इनडायरेक्ट टैक्सों को छुआ भी नहीं गया। कारोबारी अब तक उम्मीद लगाए बैठे थे कि एक्साइज और कस्टम ड्यूटी में बदलाव होगा।
- रियल एस्टेट को छोड़ किसी भी सेक्टर के लिए बड़े उपाय नहीं किए। जबकि नोटबंदी के बाद गिरती इकोनॉमी को उठाने की उम्मीद की गई थी।
साभार- देनिक भास्कर
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